IndiGo Crisis: फ्लाइट कैंसलेशन पर सरकार सख्त, एयरलाइन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई संभव

IndiGo Crisis: भारत की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन IndiGo इस समय गंभीर संकट से गुजर रही है। बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही IndiGo flight cancellations ने यात्रियों की परेशानी बढ़ा दी है। अब यह मामला केवल यात्रियों की असुविधा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि केंद्र सरकार ने भी इस पर सख्त रुख अपना लिया है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने साफ संकेत दिए हैं कि अगर लापरवाही साबित होती है तो एयरलाइन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

IndiGo फ्लाइट कैंसलेशन का मामला क्या है?

दिसंबर 2025 की शुरुआत से ही कई घरेलू और कुछ अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर IndiGo flights cancel होने की खबरें सामने आई हैं। यात्रियों का आरोप है कि उन्हें ऐन वक्त पर कैंसलेशन की सूचना मिली, जिससे उनकी यात्रा योजना, होटल बुकिंग और जरूरी मीटिंग्स प्रभावित हुईं। कई मामलों में यात्रियों को न तो समय पर वैकल्पिक उड़ान मिली और न ही पर्याप्त मुआवजा।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी IndiGo के खिलाफ शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ी है। यात्रियों ने लंबे डिले, तकनीकी कारणों का हवाला देकर फ्लाइट रद्द करने और कस्टमर सपोर्ट की कमजोर प्रतिक्रिया को लेकर नाराजगी जताई है।

सरकार ने क्यों लिया सख्त रुख?

केंद्रीय मंत्री राममोहन नायडू ने सोमवार को बयान जारी करते हुए कहा कि IndiGo की बड़े पैमाने पर उड़ान रद्द करने के मामलों की जांच शुरू कर दी गई है। सरकार यह जानना चाहती है कि क्या एयरलाइन ने सुरक्षा मानकों, मेंटेनेंस नियमों और यात्री अधिकारों का पालन किया या नहीं।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी एयरलाइन को यात्रियों की सुविधा से समझौता करने की छूट नहीं दी जा सकती। यदि जांच में गंभीर लापरवाही पाई जाती है, तो IndiGo पर जुर्माना, रूट प्रतिबंध या अन्य नियामकीय कार्रवाई की जा सकती है। यह कदम अन्य एयरलाइनों के लिए भी एक उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है।

IndiGo Crisis: फ्लाइट कैंसलेशन पर सरकार सख्त, बड़ी कार्रवाई संभव

IndiGo की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

Aviation experts का मानना है कि यदि यह साबित होता है कि फ्लाइट कैंसलेशन के पीछे खराब प्लानिंग, स्टाफ की कमी या तकनीकी रखरखाव में लापरवाही है, तो IndiGo को न सिर्फ आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा बल्कि उसकी ब्रांड इमेज पर भी गहरा असर पड़ेगा।

इंडिगो भारत की सबसे ज्यादा मार्केट शेयर रखने वाली एयरलाइन है। ऐसे में लगातार शिकायतें और सरकारी जांच कंपनी के निवेशकों और यात्रियों दोनों के भरोसे को कमजोर कर सकती हैं।

यात्रियों के अधिकार और DGCA की भूमिका

भारत में DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने यात्रियों के अधिकारों को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हुए हैं। इनके अनुसार, अगर कोई फ्लाइट बिना पर्याप्त सूचना के कैंसल होती है, तो एयरलाइन को यात्रियों को रिफंड, वैकल्पिक उड़ान या मुआवजा देना अनिवार्य होता है।

सरकार ने संकेत दिए हैं कि इस मामले में DGCA भी अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। यदि IndiGo ने नियमों का उल्लंघन किया है, तो उस पर भारी जुर्माना और ऑपरेशनल पाबंदियां लगाई जा सकती हैं।

IndiGo का पक्ष क्या है?

IndiGo की ओर से अभी तक पूरी तरह से विस्तृत आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कंपनी ने कुछ मामलों में तकनीकी कारण, एयरक्राफ्ट उपलब्धता और सुरक्षा जांच को प्राथमिकता देने की बात कही है। एयरलाइन का कहना है कि यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और किसी भी जोखिम से बचने के लिए उड़ान रद्द करने का फैसला लिया गया।

हालांकि, यात्रियों और सरकार को यह जवाब संतोषजनक नहीं लग रहा, खासतौर पर तब जब कैंसलेशन की संख्या असामान्य रूप से ज्यादा हो।

Aviation सेक्टर पर क्या असर पड़ेगा?

इस पूरे विवाद का असर सिर्फ IndiGo तक सीमित नहीं रहेगा। सरकार के सख्त रुख से पूरे एविएशन सेक्टर में जवाबदेही बढ़ेगी। अन्य एयरलाइनों को भी अब फ्लाइट शेड्यूलिंग, मेंटेनेंस और कस्टमर सर्विस को लेकर ज्यादा सतर्क रहना पड़ेगा।

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कदम लंबे समय में यात्रियों के हित में साबित हो सकता है और एयरलाइनों को मनमानी से रोकने में मदद करेगा।