इंसान का सबसे बेहतरीन दोस्त किताब को माना जाता हैं। लेकिन टेक्नोलॉजी के इस बदलते हुए समय में लोगों ने यह महत्वपूर्ण स्थान स्मार्टफोन को दे दिया है।
हमारे जीवन को संवारने में जो भी महत्वपूर्ण भूमिका किताबों ने निभाई है वह मोबाइल या अन्य कोई भीनहीं सिखा सकता।
मुंबई में रहने वाले एक शख्स किताबें किराए पर देते हैं। उन्होंने किताबो के माध्यम से ही जिंदगी का पाठ सिखाया और यह साबित किया कि किताबों के अलावा बेहतरीन साथी कोई भी नहीं है।
अवानीश शरण जो कि आईएएस ऑफिसर हैं, उन्होंने इस पोस्ट को शेयर किया है। राकेश मुम्बई के अंधेरी इलाके में पुराने पुस्तको की दुकानें चला रहे हैं।उनकी इस छोटी सी दुकान से आप 10/- रुपए किराया देकर कोई भी पुस्तक किराये पर ले सकते हैं। राकेश के मुताबिक लोग अपने शोख पूरे करने को पैसे कमाते हैं और मेरा शोख है किताबों को पढ़ना और में उसे बिना पैसे खर्च किए ही पुरा करता हूं।
राकेश मुम्बई के अंधेरी में सेकंड हैंड पुस्तकों की एक छोटी सी दुकान चलाते हैं, जहां से आप 10/- रुपए में कोई भी पुस्तक किराये पर ले सकते हैं.
राकेश ने कहा कि लोग पैसे इसलिए कमाते हैं ताकि वो अपने शौक पूरे कर सकें. मुझे पढ़ने का शौक़ है और वो बिना पैसे खर्च किये ही पूरा हो रहा है. pic.twitter.com/VH3v0IydVZ— Awanish Sharan (@AwanishSharan) November 29, 2020
महत्वपूर्ण बात यह है कि राकेश का बायां हाथ भी नहीं है। फिर भी अपनी इस अपने अपाहिज होने का उन्हें कोइ भी गम नहीं है।
इनकी दुकान से सिर्फ दस रुपए में ही आप मनचाही किताबें ले सकते हैं। हां, लेकिन यह सभी किताबें आप को पढ़कर वापस लौटानी होगी। राकेश की दुकान से आप को तरह-तरह की किताबें मिलेगी।
लोगों ने लोकडाउन के समय राकेश की मदद करने की काफी कोशिश की, मगर अपने बलबूते पर खड़े रहने वाले राकेश ने लोगों की मदद लेने से इंकार कर दिया।
लोगों ने सोशल मीडिया पर राकेश की कहानी पढ़ने के बाद उन्हें काफी आशिर्वाद दिया।उनके बारे में कमेंट किया , ‘राकेश अपने अंग से अपाहिज है लेकिन अपने मन से नही.’
राकेश जी कितना नेक कार्य कर रहे है सर जी…
भले ही खुद के हाथ एक है…
मगर
दुआएँ सबकी दोनों हाथों से ले रहा है ll🙏 #जयगुरुदेव 🙏
— LOMASH CHANDRAKAR (@lomashgautam99) November 29, 2020
राकेश जी ने हमे जो बात बताई है कि ‘लोग अपने शौक पूरे करने को पैसे कमाते हैं और मेरा शौख है किताबों को पढ़ना और मैं उसे बिना पैसे खर्च किए ही पुरा करता हूं,’ इस बात से हम सीख सकते है कि आज हमारे पास हर चीज, सुख सुविधा होने के बाद भी हम असंतुष्ट रहते है. हमे राकेश के उदाहरण से सीख लेनी चाहिये कि जीवन मे पैसा ही सबकुछ नही है. इतना ही नही हमे इस बात को भी मानना पड़ेगा कि जिंदगी मे पुस्तको के अलावा बहेतरीन साथी कोई नही.